नमस्कार मैं पवन कुमार भारतीय आपका स्वागत करता हूँ,मैं पेशे से सिविल इंजीनियरिंग हूँ| आपके मनोरंजन के लिये मैने ब्लॉग पे कुछ कविताएं, कहानियाँ इत्यादि भी लिखी हैं उनका भी आनंद लें,आशा है आपको मेरा ब्लॉग पसंद आएगा,आपसे अनुरोध है की निःसंकोच अपने विचारो से कमेन्ट के माध्यम से मुझे अवगत कराये, मुझे आपकी प्रतिक्रिया का इन्तजार रहेगा । यदि ब्लॉग में कोई सुधार किया जाना चाहिए या और सुन्दर बनाने में आप कोई सहायता प्रदान करना चाहते हैं तो निःसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं|
आज यह दीवार,
मेरी प्रोफाइल देखें ...
शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं न छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी न छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...
Sunday, January 1, 2012
प्यासे ही रह जाते है मय पिलाने वाले......
आये दिन जो देते है ज़माने वाले,
वो हर जख्म नहीं होते दिखाने वाले,
यकीन ना हो तो कभी घर में ध्यान में देना,
खुद भूखे रह जाते है, तुमको खिलाने वाले.............
कभी साथी नहीं मिलता, कभी साकी नहीं मिलता,
और प्यासे ही रह जाते है, मय को पिलाने वाले......
दरियादिली मेरी जो समझी, तो लगभग टूट जाओगे,
कैसे तन्हा रह जाते है, किसी को मिलाने वाले........
इबादत का हर दस्तूर यही बयाँ करता है सनम,
खुद लाश बन कर घूमते है, मुर्दे जिलाने वाले............
जिस दिन भी निखारेंगे, हम खुद को दिलनशी,
फिर देखते ही रह जाएंगे, जुल्फे हिलाने वाले............
उनकी अजान भी, क्या रंग लायी है आज,
लो रस्ता भटक गए है मंजिल बताने वाले..........
बंद कमरों का मंजर सिर्फ आइनों ने देखा है,
घुट घुट रुक कर रोते है, खुलकर हँसाने वाले...........
मेरी लाश और चिता पर नज़रे कड़ी रखना,
कहीं हाथ ना जला बैठे, मुझको जलाने वाले
कही हाथ ना जला बैठे, मुझको जलाने वाले..............
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment