इन तुजुर्बो ने ये सिखाया है
ठोकरे खा के इल्म आया है
क्या हुआ आज कुछ तो बतलाओ
क्यों ये आंसू पलक तक आया है !
दुश्मनों ने तो कुछ लिहाज़ किया
दोस्तों ने बहुत सताया है !
आसमां, ज़िंदगी, जहाँ, हालात
हम को हर एक ने आज़माया है !
अब रुकेंगे तो सिर्फ़ मंजिल पर
सोचकर यह क़दम उठाया है !
ऐ "नीरज" हम हैं उस मक़ाम पर आज
धूप है सर पे और न साया है !
नमस्कार मैं पवन कुमार भारतीय आपका स्वागत करता हूँ,मैं पेशे से सिविल इंजीनियरिंग हूँ| आपके मनोरंजन के लिये मैने ब्लॉग पे कुछ कविताएं, कहानियाँ इत्यादि भी लिखी हैं उनका भी आनंद लें,आशा है आपको मेरा ब्लॉग पसंद आएगा,आपसे अनुरोध है की निःसंकोच अपने विचारो से कमेन्ट के माध्यम से मुझे अवगत कराये, मुझे आपकी प्रतिक्रिया का इन्तजार रहेगा । यदि ब्लॉग में कोई सुधार किया जाना चाहिए या और सुन्दर बनाने में आप कोई सहायता प्रदान करना चाहते हैं तो निःसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं|
आज यह दीवार,
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शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं न छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी न छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...
Tuesday, September 6, 2011
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