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शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...

Wednesday, December 28, 2011

भारतीय मीडिया :--> डरपोक या प्रायोजित या बिका हुआ या अवसरवादी, या उपरोक्त सभी ?



जी हाँ ये सवाल मै अपने पूरे होशो हवास मे कर रहा हूँ और उसका कारण सिर्फ इतना है की आज देश का बच्चा बच्चा अन्ना हजारे जी को जानता है और उनके आन्दोलन को भी लेकिन अगर एक पढ़ा लिखा युवक भी डॉ सुब्रमण्यम स्वामी की तस्वीर को

देखता है तो ये नहीं बता पाता की ये शख्श कौन है, और इसका कारण मै हमारी भांड मीडिया को ही मानूंगा | मै अन्ना हजारे का पूरा समर्थन करता हूँ और उनकी प्रशंशा से मुझे कोई गुरेज नहीं है लेकिन मै सिर्फ ये चाहता हूँ की डॉ सुब्रमण्यम स्वामी को भी मीडिया के जरिये उतना ही सम्मान मिलना चाहिए |



डॉ सुब्रमण्यम स्वामी के कारण १ लाख ७६ हजार करोड रूपये का घोटाला सामने आया कनीमोझी जेल मे रही, राजा अभी भी जेल मे है, चिदम्बरम जेल जाने की तैयारी मे है, रोबर्ट वढेरा और सोनिया गाँधी जेल जाने के नाम से डरे हुए हैं, लिट्टे उनकी हत्या

का तलबगार है, ईवीएम मशीन का घोटाला उन्होने उजागर किया और उसके बाद भी उनका चेहरा एक आम भारतीय के लिए अनजान है इसकी वजह सिर्फ इतनी ही है की मीडिया उन्हें कवर नहीं कर रहा है, मीडिया उन्हें हीरो नहीं बना रहा |

मीडिया के कवर ना करने के पीछे क्या कारण हो सकता है आप ही सोचिये |

या तो मीडिया के ऊँचे अधिकारीयों को सरकारी तन्त्र ने डराया हुआ है की अगर आप ने कोई भी अच्छा कवरेज डॉ सुब्रमण्यम स्वामी के लिए किया तो आप भी हमारे दुश्मन हो जायेंगे और आप के खिलाफ जांचे शुरू हो जाएँगी | इस डर के साथ ही मीडिया

को इस बात के लिए पैसे दिए जा रहे हैं की आप इस तरह की खबरे जो की सरकार विरोधी हो और डॉ सुब्रमण्यम स्वामी के पास से आ रही हो प्रसारित मत कीजिये और बदले मे हम आप को ढेरो विज्ञापन देंगे ताकि आप की कमाई हो सके |



और आज चूंकि सोशल नेटवर्क के जरिये डॉ सुब्रमण्यम स्वामी की पहुँच आम जनता तक हो चुकी है तो मीडिया भी उन्हें कवर करना शुरू कर देगा सरकार के डर से अलग हट कर और अगर अब ऐसा होता है तो मीडिया को अवसरवादी कहना कही से भी

गलत नहीं होगा |

मेरे पास ऊपर कही बातों मे से किसी भी बात का सबूत नहीं है अगर होता तो यहाँ नहीं अदालत मे कह रहा होता लेकिन मै मेरी कही हर बात का तर्क जरूर दे सकता हूँ |

डरपोक तो इसलिए कहूँगा की जब इंसान की जरूरते हद से ज्यादा बढ़ जाती है तो उसके ईमान मे उतनी ताकत नहीं रह जाती की जरूरत पड़ने पर जेल जा सके,  और हमारे मीडिया हाऊंस के अधिकतर बड़े अधिकारी किसी न किसी ऐसे काम मे लिप्त होते

ही हैं जो की गैर कानूनी होता है चाहे वो नैतिक काम हो या फिर आर्थिक अपराध इस लिए उन इंसानों का डरा होना कोई बड़ी बात नहीं और उसका नतीजा होता है पूरे सिस्टम मे उनके डर का असर |



प्रायोजित और बिका हुआ इस लिए कहूँगा क्योंकि जितने सरकारी विज्ञापन मैने समाचार विज्ञापनों मे और अखबारों मे मुख्य पन्नों पर देखे हैं उतने सरकारी विज्ञापन किसी भी पत्रिका मे या फिर किसी भी मनोरंजन चैनल मे नहीं देखे जबकि मनोरंजन

चैनलों को पहुँच समाचार चैनलों से कही ज्यादा है |


अवसरवादी इसलिए कहूँगा क्योंकि जैसे ही डॉ सुब्रमण्यम स्वामी सोशल नेटवर्क के जरिये प्रसिद्ध होने लगे मीडिया उन को कवर करना शुरू कर चुका है क्योंकि मीडिया जानता है की अगर अभी भी उन्हें हीरो नहीं बनाया तो देर हो जायेगी लेकिन फिर भी उन्हें

मीडिया ने वो स्थान आज तक नहीं दिया है खबरों मे होना चाहिए |


समस्त मीडिया को मेरी यही राय है की भांड गीरी छोड़ कर सच को दिखाओ, सिर्फ वो नहीं जिससे आप के पैसे बने बल्कि वो भी दिखाओ जिससे जनता सच को जाने और आप का पत्रकारिता धर्म आप को आशीष दे |