आज यह दीवार,

मेरी प्रोफाइल देखें ...
शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...

Friday, September 9, 2011

भूख और मज़बूरी ...


दुबली, पतली और सांवली
उस गरीब औरत की काम के समय
मौत होने पर
पति ने हत्या होने का शक जताया।


पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिये
अस्पताल भेजा
और एक घर से दूसरे और वहां से तीसरे
घर में काम करती हुई
उस गरीब औरत की मौत को
संदेहास्पद बताया।
गरीब और बीमार की मौत का पोस्टमार्टम
सुनकर अज़ीब लगता है,
पति लगाये तो कभी नहीं फबता है,
एक औरत
जिसने दस दिन पहले गर्भपात कराया हो,
रोटी की आस में घर से भूखी निकली होगी
कमजोर लाचार औरत की क्या बिसात
उमस तो अच्छे खासे इंसान को वैसे ही बनाती रोगी,
हड्डियों के कमजोर पिंजरे से
कब पंछी कैसे उड़ा
उसकी जिंदगी का रथ कैसे मौत की ओर मुड़ा,
इन प्रश्नों का जवाब ढूंढने की
जरूरत भला कहां रह जाती है,
सारी दुनियां गरीबी को अपराध
औरत उस पर सवार हो तो अभिशाप बताती है,
जाने पहचाने सवाल हैं,
अज़नबी नहीं जवाब हैं,
भूख और मज़बूरी
पहले अंदर से तोड़ते हैं,
तब ही मौत से लोग नाता जोड़ते हैं,
क्या करेंगे सभी
अगर पोस्टमार्टम में
कहीं भूख का अक्स नज़र आया।

बचपन के रंग …


.
बचपन में माँ से लड़ना झगड़ना 
उसके ही हाथों से रोटी फिर खाना 
उसके साथ ही चलना और घूमना 
गोदी में चढ़कर उसके मचलना 
पापा से झट से पैसे ले लेना 
पैसे से टाफी और इमली खाना 
चिढ़ना-चिढ़ाना रोना-रुलाना 
लुकना-छिपना हँसना-हँसाना 
माँ की गोदी था प्यारा सा पलना 
पकड़े जो कोई तो धोती में छिपना 
ऐसा था प्यारा सा बचपन का रंग 
गुजरा था जो मेरे माँ बाप के संग 

"सरकार ने विडियो पर लगाई पाबन्दी |"


* क्या भारत सरकार ने वाकई में इस विडियो को भारत में बंद कर दिया है ?
" सोनिया गाँधी और रॉबर्ट वढेरा के भ्रस्टाचार पर आधारित ये विडियो आखिर बंद क्यु किया गया ? ये तो शायद "कांग्रेस " सरकार या फिर यु टयुब " वाले ही बता सकेंगे मग़र जो भी हो आखिरकार ये विडियो पर पाबन्दी सिर्फ और सिर्फ "भारत "में ही आई है ,क्या भारत में "अन्ना हजारे" जी के जन लोकपाल आन्दोलन के साथ ये एक और नयी जंग की शुरुवात है या फिर कुछ और ...कही ऐसा तो नहीं है की अब कांग्रेस अपने खिलाफ उठानेवाली हर आवाज़ को दबाना चाहती है ? "

" फिर चाहे कांग्रेस के खिलाफ उठानेवाली आवाज़ कोई इंसान की हो या फिर ऐसे विडियो के जरिये कोई उठा रहा हो ..आखिर ये विडियो बंद क्यु करना पड़ा इस के साथ ही ये बात भी सरकार का ये कदम साबित करता है की अब " इन्टरनेट " को भी अपनी गिरफ्त में ले रही है कांग्रेस ...अब भ्रस्टाचार की ये लड़ाई जब रामलीला मैदान से " इन्टरनेट "तक पहुँच ही गई है तब कांग्रेस का ये एक और प्रयाश है की अपने खिलाफ उठानेवाली हर आवाज़ को वो दफ़न कर सके |"

" अगर कांग्रेस का ऐसा ही हिटलर जैसा रवैया रहा तो वो दिन दूर नहीं है की भारत में भी "मिश्त्र " जैसी क्रांति की शुरुवात हो ..... आप भी इस लिंक पर क्लिक करके देख ले उसमे साफ़ साफ़ लिखा हुवा है की ये विडियो भारत में देख नहीं सकते है और ये विडियो पर भारत सरकार ने रोक लगाई है | "


भारत की कुछ प्रमुख नदियां...

 सिंधु 2,900 (किमी), ब्रह्मपुत्र 2,900 (किमी), गंगा 2,510 (किमी), गोदावरी 1,450 (किमी), नर्मदा 1,290 (किमी), कृष्णा 1,290 (किमी), महानदी 890 (किमी), कावेरी 760 (किमी) लंबी है।

गंगा नदी

भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी गंगा का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। इसका जल घर में शीशी या प्लास्टिक के डिब्बे आदि में भरकर रख दें तो बरसों तक खराब नहीं होता है और कई तरह की पूजा-पाठ में इसका उपयोग किया जाता है। ऐसी आम धारणा है कि मरते समय व्यक्ति को यह जल पिला दिया जाए तो ‍उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है

गंगा नदी भारत और बांग्लादेश में मिलाकर 2510 किमी की दूरी तय करती हुई उत्तरांचल में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुंदरवन तक विशाल भू भाग को सींचती है, देश की प्राकृतिक संपदा ही नहीं, जन जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है। 2071 किमी तक भारत तथा उसके बाद बांग्लादेश में अपनी लंबी यात्रा करते हुए यह सहायक नदियों के साथ दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है।
सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण गंगा का यह मैदान अपनी घनी जनसंख्या के कारण भी जाना जाता है। 100 फीट की अधिकतम गहराई वाली यह नदी भारत में पवित्र मानी जाती है तथा इसकी उपासना माँ और देवी के रूप में की जाती है।

इस नदी में मछलियों तथा सर्पों की अनेक प्रजातियाँ तो पाई ही जाती हैं मीठे पानी वाले दुर्लभ डालफिन भी पाए जाते हैं। यह कृषि, पर्यटन, साहसिक खेलों तथा उद्योगों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है तथा अपने तट पर बसे शहरों की जलापूर्ति भी करती है। इसके तट पर विकसित धार्मिक स्थल जैसे वाराणसी, हरिद्वार और तीर्थ भारतीय सामाजिक व्यवस्था के विशेष अंग हैं। इसके ऊपर बने पुल, बाँध और नदी परियोजनाएँ भारत की बिजली, पानी और कृषि से संबंधित ज़रूरतों को पूरा करती हैं।

वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। सफाई की अनेक परियोजनाओं के क्रम में नवंबर, 2008 में भारत सरकार द्वारा इसे भारत की राष्ट्रीय नदी तथा इलाहाबाद और हल्दिया के बीच (लगभग 1600 किलोमीटर) गंगा नदी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया है।
नर्मदा

नर्मदा मध्य प्रदेश और गुजरात राज्य में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। महाकाल पर्वत के अमरकण्टक शिखर से नर्मदा नदी की उत्पत्ति हुई है। इसकी लम्बाई प्रायः 1310 किलोमीटर है। यह नदी पश्चिम की तरफ जाकर खम्बात की खाड़ी में गिरती है। इस नदी के किनारे बसा शहर जबलपुर उल्लेखनीय है।

जबलपुर के निकट भेड़ाघाट का नर्मदा जलप्रपात काफी प्रसिद्ध है। इस नदी के किनारे अमरकंटक, नेमावर, शुक्लतीर्थ आदि प्रसिद्ध तीर्थस्थान हैं जहाँ काफी दूर-दूर से यात्री आते रहते हैं।

नर्मदा नदी भारत में विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वतश्रेणियों के पूर्वी संधिस्थल पर मध्यप्रदेश के अमरकंटक नामक स्थान से निकलती है। यह विंध्याचल और सतपुड़ा के बीचोबीच पश्चिम दिशा की ओर प्रवाहित होती है तथा मंडला और जबलपुर से होकर गुजरती है। उद्गम से लेकर मुहाने तक इसकी कुल लंबाई प्रायः 1310 किलोमीटर है। यह सागरतल से 3000 फीट की ऊँचाई पर स्थित अमरकंटक (स्थिति: 22 डिग्री 41 मिनट उत्तरी अक्षांश तथा 81 डिग्री 48 मिनट पूर्वी देशान्तर) नामक स्थान के एक कुंड से निकलती है। यह कुंड मंदिरों के समूहों से घिरा है। रीवा जिले में 40 मील बहने के बाद यह रामनग की ओर बहती है।

मंडला के बाद उत्तर की ओर एक सँकरा चाप बनाती हुई यह जबलपुर की ओर मुड़ जाती है। इसके बाद 30 फीट ऊँचे धुँआधार नामक प्रपात को पार कर यह दो मील तक एक संकरे मार्ग से होकर बहने के बाद जलोढ़ मिट्टी के उर्वर मैदान में प्रवेश करती है, जिसे "नर्मदाघाटी" कहते हैं। यह घाटी विंध्य और सतपुड़ा पहाड़ियों के मध्य में स्थित है। जबलपुर और होशंगाबाद के बीच इसके किनारे 40 फुट तक ऊँचे हैं। इसी बीच में एक 340 फुट ऊँचा प्रपात भी है। पहाड़ियों से बाहर आने के बाद पुन: यह एक खुले मैदान में प्रवेश करती है। इसी स्थान पर आगे महेश्वर नामक नगर इसके किनारे बसा है। यहाँ उत्तरी किनारे पर कई मंदिर, महल एवं स्नानघाट बने हुए हैं। इसके बाद यह भरुच पहुँच कर अंत में खंभात की खाड़ी में गिरती है।


यमुना नद

भारतवर्ष की सर्वाधिक पवित्र और प्राचीन नदियों में यमुना की गिनती गंगा के साथ की जाती है। यमुना और गंगा के दोआब की पुण्यभूमि में ही आर्यों की पुरातन संस्कृतिका गौरवशाली रूप बन सका था।

पश्चिमी हिमालय से निकल कर उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा की सीमा के सहारे 95 मील का सफर कर उत्तरी सहारनपुर (मैदानी इलाका) पहुंचती है। फिर यह दिल्ली, आगरा से होती हुई इलाहाबाद में गंगा नदी में मिल जाती है।
ब्रजमंडल की तो यमुना एक मात्र महत्वपूर्ण नदी है। जहां तक ब्रज संस्कृति का संबध है, यमुना को केवल नदी कहना ही पर्याप्त नहीं है। वस्तुतः यह ब्रज संस्कृति की सहायक, इसकी दीर्ध कालीन परम्परा की प्रेरक और यहा की धार्मिक भावना की प्रमुख आधार रही है।

नदी की गहराई
नदी यमुना एक काफी गहरी, एक उथले गहराई है, यह औसत गहराई 10 फीट (3 मीटर) और अधिकतम गहराई 35 फीट (11 मीटर) है। दिल्ली के निकट नदी में, यह अधिकतम गहराई 68 फीट (20 मीटर) है। आगरा में, यह गहराई 3 फुट है (1 मीटर) है।

आज महकता है मन मेरा...


आज खो गया हूँ मै रेत-पानी की तरह
पर महकता है मन मेरा रात-रानी की तरह


नासमझ है की मोल लगाती है वो
मुझे तोलती है लाभ हानि की तरह


मार दो मुझे या दफ़न कर दो...
भूल ना जाना मुझे एक कहानी की तरह..


हाथ मलते रह जाओगे एक दिन दोस्तो
और फिसल जाउंगा मैं वक़्त और जवानी की तरह



" पवन "
को फर्क नहीं किसी भी रात से
आज महकता है मन मेरा रात-रानी की तरह