आज यह दीवार,

मेरी प्रोफाइल देखें ...
शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...

Friday, September 9, 2011

आज महकता है मन मेरा...


आज खो गया हूँ मै रेत-पानी की तरह
पर महकता है मन मेरा रात-रानी की तरह


नासमझ है की मोल लगाती है वो
मुझे तोलती है लाभ हानि की तरह


मार दो मुझे या दफ़न कर दो...
भूल ना जाना मुझे एक कहानी की तरह..


हाथ मलते रह जाओगे एक दिन दोस्तो
और फिसल जाउंगा मैं वक़्त और जवानी की तरह



" पवन "
को फर्क नहीं किसी भी रात से
आज महकता है मन मेरा रात-रानी की तरह

No comments: