आज यह दीवार,

मेरी प्रोफाइल देखें ...
शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...

Sunday, May 27, 2012

इंटरव्यू कसौटी है!

 नई नौकरी हासिल करने के लिए इंटरव्यू में खरा उतरना जरूरी होगा। इसके लिए इंटरव्यू के दौरान आप श्रेष्ठतम प्रदर्शन देना चाहते हैं। इंटरव्यूकर्ता भी आपके अंदाज, हाव-भाव आदि पर पैनी नजर रखता है, ताकि आपको अच्छी तरह आंक सके। ऐसे में जरा-सी भूल आपको निराशा दे सकती है। इसलिए खुद पर पूरा नियंत्रण रखें और कुछ चूकों से बचें, जैसे..


साक्षात्कारकर्ता को टोकना

साक्षात्कारकर्ता से सवाल करना या जिज्ञासा व्यक्त करना गलत नहीं है, लेकिन बात-बात में साक्षात्कारकर्ता को टोकना या उसका वाक्य होने से पहले ही बोलना शुरू कर देना, उसे नाराज कर सकता है। इसलिए ऐसा कुछ भी करने की गलती न करें।


बिना तैयारी के जाना

कम्पनी या कम्पनी के उत्पाद अथवा सेवाओं के विषय में बिना कोई जानकारी हासिल किए इंटरव्यू के लिए जाना और पूछे जाने वाले हर सवाल का अटकते हुए अंदाजिया जवाब देना, आपका कमजोर पक्ष जाहिर करता है। इसलिए पूरी तैयारी के साथ इंटरव्यू के लिए जाएं। यदि इसके बावजूद आपसे कोई ऐसा सवाल किया जाए, जिसका जवाब मालूम न हो, तो स्पष्ट शब्दों में मना करना उचित होगा।

देर से पहुंचना

इंटरव्यू के दिन ही आप देर से पहुंचते हैं, तो समझ सकते हैं कि भावी बॉस पर इसका क्या असर पड़ेगा। यदि किसी महत्वपूर्ण कारण से देर हो जाए, तो फोन पर इंटरव्यूकर्ता से अगले दिन का समय मांग लें या पूछ लें कि क्या अमुक समय पर पहुंचा जा सकता है? यह तरीका आपको जिम्मेदार व्यक्ति साबित करेगा।


तनख्वाह का निर्धारण

पैनल से तनख्वाह पूछने के लिए अति उत्सासित न हों, उनके सवाल करने पर ही इस विषय पर बात करें। हां! यदि पूरे इंटरव्यू में इस पक्ष पर बात न हो, तो अंत में आप खुद ही शालीनता से इस बारे में पूछ जरूर लें।


गलत जानकारी देना

कई कम्पनियां बड़ी आसानी से चयनित कर्मचारियों के बारे में पता लगा लेती हैं। इसलिए शैक्षणिक योग्यता, अनुभव या पिछली नौकरी से जुड़े मुद्दों के बारे में गलत जानकारी देना एक बड़ी भूल साबित हो सकती है। इसलिए ऐसा कोई भी कदम न उठाएं।


इंटरव्यू के दौरान

कई संस्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं, जिनसे इंटरव्यू के लिए आए लोगों पर निगरानी रखी जाती है, इसलिए इंतÊार के दौरान, पर्स से आइना निकालकर बार-बार अपना हुलिया देखना, मेकअप ठीक करना, बाल संवारना, पसीना पोंछना, फुटवेयर पर चढ़ी धूल साफ करना, लगातार फोन पर बातें करते रहना या थोड़ी-थोड़ी देर में मोबाइल पर आए संदेश पढ़ना जैसी हरकतें आपके लिए लाल सिग्नल साबित हो सकती हैं। 



 

लम्बे और अप्रासंगिक जवाब

इंटरव्यूकर्ता द्वारा पूछे जाने वाले सवालों के उबाऊ, लम्बे और अप्रासंगिक जवाब न दें। आपके जवाब छोटे, टू-द-प्वाइंट और सटीक उदाहरणों द्वारा स्पष्ट किए हुए होने चाहिए। सवाल की जरूरत के मुताबिक नवीनतम आंकड़े या शोध भी उत्तर में शामिल कर सकते हैं। इससे आपके अपडेट होते रहने और विषय में दिलचस्पी लेने का संकेत मिलेगा।

 

Friday, May 25, 2012

शुभ विवाह……… शुभ विवाह………… शुभ विवाह……



शुभ विवाह……… शुभ विवाह………… शुभ विवाह……

||
अमंगलम् गुटखा खाद्यम धूम्रपानं, अमंगलं सर्वव्यसनम्||

||
कराग्रे वसते बीड़ी, करमध्ये चुरुटम्, करमूले स्थितो गुटखायाः प्रभाते कर दर्शनम्||



दुर्भाग्यवती बीड़ी कुमारी उर्फ़ सिगरेट देवी

कुपुत्री श्री तम्बाकूलाल एवं श्रीमती तेंदूपत्ता बाई

निवासी – 420, यमलोक हाऊस, दुःखनगर

के संग


मृतात्मा कैंसर कुमार उर्फ़ लाईलाज बाबू

कुपुत्र श्री गुटखालाल जी एवं श्रीमती भांगदेवी

निवासी गलत रास्ता, व्यसनपुर (नशाप्रदेश)



का अशुभ विवाह बड़े ही अमंगल समय पर तय हुआ है। अतः इस भयानक प्रसंग पर चाचा गांजासिंह, चाची अफ़ीम देवी, दादा हुक्काराम, दादी 

सुल्फ़ीदेवी, मामा चरसराम, मामी शराब देवी, देवर ड्रग कुमार, नाना चाय सिंह, नानी कॉफ़ीदेवी, ताऊ चूनाराम, फ़ूफ़ा जर्दाराम, जैसे खतरनाक 

बुजुर्गों की उपस्थिति में नवदम्पति को अभिशाप प्रदान करने हेतु सादर आमंत्रित हैं



विवाह समय अनिश्चित काल

विवाह स्थल श्मशान घाट मैरिज गार्डन, चिन्ता भवन, कष्ट मोहल्ला, दुर्गति गली, दुःखनगर (जिला परलोकपुर)

दर्शनाभिलाषी


सेठ दमादास, श्रीमती टीबी बाई

श्रीमती खांसीबाई एवं समस्त नशे की गोलियाँ

हेरोईन के सभी इंजेक्शन तथा कुख्यात पिच्च-थू परिवार



बाल मनुहार : हमाली बदबूदाल बुआजी की छादी में जलूल-जलूल आना” - कटी-छिली सुपारी

बारातियों के लिये नोट

1)
बारात एम्बूलेंस से कैंसर अस्पताल होते हुए काल घड़ी में श्मशान घाट मैरिज गार्डन पहुँचेगी।

2)
बारातियों का स्वागत चिलम के एक-एक सुट्टे से किया जायेगा व यमराज महाशय का आशीर्वाद मुफ़्त में मिलेगा।
आगंतुकों से अनुरोध है कि वे चाहें तो अपने ईष्ट मित्रों को भी साथ ला सकते हैं


Monday, May 21, 2012

किसी को दे के दिल कोई


चचा कितने गहरे हैंउनके शेरों से पूछो:

किसी को दे के दिल कोई नवा-सन्ज- फ़ुग़ां क्यूं हो
न हो जब दिल ही सीने में तो फिर मुंह में ज़बां क्यूं हो
(जब किसी को दिल ही दे दियातो उसका रोना कैसाआखिर सीने में दिल नहींतो मुँह में ज़बान भी क्यूँ हो?)
वह अपनी ख़ू न छोड़ेंगे हम अपनी वज़ा क्यूं छोड़ें
सुबुक-सर बन के क्या पूछें कि हम से सर-गिरां क्यूं हो
(आशिक़ और महबूब दोनों अपनी आन के पक्के हैं. कोई भी दूसरे से यह भी नहीं पूछ रहा के वो इतना मग़रूर क्यूँ है. आखिर दोनो ही मग़रूर हैं न!)


किया ग़म-ख़्वारी ने रुसवा लगे आग इस मुहब्बत को
न लावे ताब जो ग़म की वह मेरा राज़-दां क्यूं हो
(आशिक़ के राज़दानों कि हमदर्दी और कमज़ोर-दिली कि वजह से वह बदनाम हुआ जा रहा है. आखिर ऐसे राज़दानों का क्या फ़ायदा?)

वफ़ा कैसी कहां का इश्‌क़ जब सर फोड़ना ठहरा
तो फिर ऐ सँग-दिल तेरा ही सँग-ए आस्तां क्यूं हो
(ज़ालिम महबूब हमेशा यही कहता है के 'मेरे ज़ुलमों की शिकायत न किया करोतुम तो वफ़ादार हो'. पर इसमे 'वफ़ाका क्या कामके अगर मेरी क़िसमत में सर ही फोडना हैतो उसी महबूब के चौखट के पत्थर पे ही क्यूँ?)


क़फ़स में मुझ से रूदाद-ए चमन कहते न डर हमदम
गिरी है जिस पह कल बिजली वो मेरा आशियां क्यूं हो
(बेहतरीन शेर! अभी-अभी एक नये ग़म की चपेट में आया इन्सान (पँछी) जो पहले ही ग़म में डूबा हुआ हो,अपने नये ग़म की अपेक्षा (ignore) करता है. पिँजरे में क़ैद पँछीअपने बाहर बैठे दोस्त से कहता है "ऐ दोस्ततू मुझे कल का चमन का पूरा हाल सुनामत डर. कल जिस आशियाने पे बिजली गिरी हैवो तो मेरा हो ही नहीं सकता. मै पहले ही इतने दु:ख में हूँभला मुझ पे और ग़म क्यूँ आ-गिरने लगा?". बहुत खूब!!)

ये कह सकते हो हम दिल में नहीं हैं पर यह बतलाओ
कि जब दिल में तुम्हीं तुम हो तो आंखों से निहां क्यूं हो

(महबूब आशिक़ से कहता है 'क्यूँ गिला करते होक्या हम तुम्हारे दिल में नहीं रहते?खो'. पर आशिक़ कहता है 'अगर दिल में रहते होतो आँखों में क्यूँ नहीं दिखते?'...मिलने क्यूँ नहीं आते?)

ग़लत है जज़्ब-ए दिल का शिकवा देखो जुर्म किस का है
न खेंचो गर तुम अपने को कशाकश दर‌मियां क्यूं हो
(ऐ महबूब तू दिल के खिँचने का शिक़वा कैसे कर सकता हैतू अगर अपने दिल को खींचकर न रखेमेरी ओर आने देतो ये कश-म-कश भला हो ही क्यूँभई वाह!)

ये फ़ितना आदमी की ख़ाना-वीरानी को क्या कम है
हुए तुम दोस्त जिस के दुश्मन उसका आस्मां क्यूं हो
(तेरी दोस्ती से तो अच्छे-अच्छों के घर वीरान हो जायें)


यही है आज़माना तो सताना किस को कह्‌ते हैं
अदू के हो लिये जब तुम तो मेरा इम्तिहां क्यूं हो
(महबूब कभी कभी कहता है 'मैं तो तुम्हे आज़मा रहा था'. अगर वो रक़ीब का हो ही लियातो भला मेरा'इम्तिहानलेने का क्या मतलब?)

कहा तुम ने कि क्यूं हो ग़ैर के मिलने में रुस्वाई
बजा कहते हो सच कहते हो फिर कहयो कि हां क्यूं हो
(महबूब रक़ीब से मिलता है. और कहता है 'भला इसमें रूसवाई क्यूँ हो?' इसपे आशिक़ कहता है 'तुम कितना सच कहती हो. तुम्ही मुझे बताओके रूसवाई क्यूँ हो?')


निकाला चाह्‌ता है काम क्या तानों से तू 'ग़ालिब'तेरे बे-मिहर कहने से वो तुझ पर मिहरबां क्यूं हो
(जैसा के चचा ने पूरि ग़ज़ल मे किया)आशिक़ महबूब को ताने मार्-मार के काम निकलवान चाहता है. पर ये तरीक़ा काम नहीं करता. भला महबूब को 'बेमिह्‌रकहने से वो मेहरबान हो जायेगा?
 

Sunday, April 22, 2012

पृथ्वी दिवस : धरा की सुध तो लो -EARTH DAY


पृथ्वी दिवस संयुक्त राज्य अमेरिका में 22 अप्रैल को मनाया जाता हैयह एक दिवस है जिसे पृथ्वी के पर्यावरण के बारे में प्रशंसा और जागरूकता को प्रेरित करने के लिए डिजाइन किया गया है.
इसकी स्थापना अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन के द्वारा 1970 में एक पर्यावरण शिक्षा के रूप में की गयी,और इसे कई देशों में प्रति वर्ष मनाया जाता है. यह तारीख उत्तरी गोलार्द्ध में वसंत और दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद का मौसम है.
 

पृथ्वी दिवस : धरा की सुध तो लो -EARTH DAY


इस संसार में मां को भगवान से भी बढ़कर स्थान दिया गया है क्यूंकि वह ना सिर्फ हमें जन्म देती है ल्कि हमें पालपोस कर जीने और इस दुनिया में रहने के लायक बनाती है. मां अगर पल भर के लिए भी हमसे दूर हो जाए तो कितना बुरा लगता है ना और अगर खुदा ना करे वह मां बीमार हो जाए तो हम पर क्या बीतती है यह हम ही जानते हैं. लेकिन मां के प्रति यही प्रेमभक्ति और भावना उस वक्त कहां चली जाती है जब हम प्रकृति पर अत्याचार करते हैं. एक मां तो हमें जन्म देती है पर यह प्रकृति भी तो एक मां ही है जो हमें ना सिर्फ जीने के लिए स्थान देती है बल्कि हमें भोजन भी देती हैइसी पृथ्वी से जीने के लिए हवा मिलती है.
 
आज विश्व भर में हर जगह प्रकृति का दोहन जारी है. कहीं फैक्टरियों का गंदा जल हमारे पीने के पानी में मिलाया जा रहा है तो कहीं गाड़ियों से निकलता धुंआ हमारे जीवन में जहर घोल रहा है और घूम फिरकर यह हमारी पृथ्वी को दूषित बनाता है. जिस पृथ्वी को हम मां का दर्जा देते हैं उसे हम खुद अपने ही हाथों दूषित करने में लगे रहते हैं.

पृथ्वी दिवस का इतिहास

प्रकृति पर बढ़ते अत्याचार और प्रदूषण की वजह से ग्लोबल वॉर्मिंग भी बढ़ी और विश्व स्तर पर लोगों को चिंता होनी शुरु हुई. आज ग्लोबल वार्मिंग यानी जलवायु परिवर्तन पृथ्‍वी के लिए सबसे बड़ा संकट बन गया है. 22 अप्रैल, 1970 को पहली बार इस उद्देश्य से पृथ्वी दिवस  मनाया गया था कि लोगों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाया जा सके. विश्व पृथ्वी दिवस की स्थापना अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन (Gaylord Nelson) के द्वारा 1970 में एक पर्यावरण शिक्षा के रूप में की गयी थी.

1970 से 1990 तक यह पूरे विश्व में फैल गया. 1990 से इसे अंतरराष्ट्रीय दिवस के रुप में मनाया जाने लगा और 2009 में संयुक्त राष्ट्र ने भी 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस के रुप में मनाने की घोषणा कर दी.
 
लेकिन मात्र एक दिन पृथ्वी दिवस के रुप में मना कर हम प्रकृति को बर्बाद होने से नहीं रोक सकते हैं. इसके लिए हमें बड़े बदलाव की जरुरत है. हवा में बातें तो सभी करते हैं लेकिन जमीनी हकीकत से जुड़ कर भी कुछ करना होगा तभी हम पृथ्वी मां के प्रति अपनी सच्ची श्रंद्धाजलि दे पाएंगे. आइए इस पृथ्वी दिवस पर शपथ लें कि आगे किसी कोई भी ऐसा कार्य नहीं करेंगे जिससे इसको नुकसान पहुंचे और अगर ऐसा कोई काम करना भी पड़े तो उसके नुकसान को पूरा करने के लिए जरूर उचित कदम उठाएंगे.