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शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...

Sunday, October 9, 2011

चीन से आये भगवान...




रोज़ की तरह दफ्तर में ख़बर को लेकर अफ़रा-तफ़री मची थी... सुबह, सुबह वैसे भी ख़बरों का टोटा होता है, लिहाज़ा हर ख़बर को स्क्रीन पर उतारने की जल्दबाज़ी रहती है। अचानक एक ख़बर पर नज़र पड़ी, पहले तो कुछ खास नहीं लगा। लेकिन फिर ध्यान आया कि कम से कम इसके विज़ुअल्स तो देख ही लिए जाएं... ख़बर थी, कि राजस्थान के प्रतापगढ़ में भेरूलाल नाम के एक शख्स को सपना आया, जिसमें उसने एक घोड़ा और उसके पैरों के निशान देखे। सपने में उसके देवता रामदेव ने उसे गांव में मंदिर बनाने का आदेश भी दिया। भेरूलाल ने सुबह उठते ही गांववालों को इस सपने के बारे में ख़बर दी, सपने के मुताबिक उसे गांव में ही एक छोटा सा घोड़ा और उसके पैरों के निशान भी मिल गये।


बस फिर क्या था, भेरूलाल और गांव वाले फटाफट मंदिर बनाने में जुट गये। लेकिन जैसे ही ये ख़बर जंगल में आग की तरह फैली, सरकारी अमला भी गांव में पहुंच गया। लेकिन गांव वाले जिद पर अड़े थे, कि मंदिर तो ज़रूर बनाएंगे, आखिर भगवान खुद उनके द्वार पर जो आये हैं। लेकिन उस भेरुलाल को ये कौन समझाए, कि जिस सपने की बात वो कर रहा है, वो है तो ठेठ देसी, लेकिन उसके तार चाईना से जुड़े हैं। अब इन नासमझो को कौन समझाए, कि भईया ये एक छोटा सा प्लास्टिक का घो़ड़ा है, जो बच्चों के खेलने के काम आता है। और तो और उस घोड़े के पेट पर लिखा भी है मेड इन चाईना..




लेकिन आस्था के अंधविश्वास में डूबे इन गांव वालों को कौन बताए, कि भईया, ये किसी ड्रामेबाज़ का ड्रामा है... भ्रमजाल से बाहर निकलो.. हो सकता है किसी ने शरारतन गांव में प्लास्टिक का ये खिलौना डाल दिया हो। भगवान के बंदों कुछ तो दिमाग लगाओ... लेकिन शायद उन लोगों की अक्ल तो कहीं चरने चली गई थी। पुलिस-प्रशासन ने लोगों से लाख मिन्नतें की भगवान के नाम पर भगवान का मज़ाक मत बनाओ... कम से कम भगवान से तो डरो... लेकिन कोई सुनने के तैयार कहां... घोड़ा भी सोच रहा होगा, कि मेरे चक्कर में तो ये गांव वाले गधे बन चुके हैं।




गांव में चीन से आये घोड़ेनुमा भगवान की यात्रा निकाली गई, उसके पदचिन्हों की पूजा कर आरती की गई... लेकिन भगवान के ये बंदे कैसे समझें... कोई इसे बाबा रामदेव का चमत्कार बता रहा था.. तो कोई इसे भगवान का करिश्मा... आस्था में बहके लोगों के कदम ऐसे बहके, कि वो सरकारी अमले से भी दो-दो हाथ करने को तैयार हो गये। बाबा के कथित आदेश के बाद भेरूलाल तो जुट गया, सपने को पूरा करने में... गांव में ढोल-मंजीरों पर लोग नाचने लगे, भेरूलाल का सपना सच हो रहा था, ऐसा लगा जैसे धीरूभाई अंबानी किसी से कह रहे हों, दुनिया कर लो मुट्ठी में।

गांव में भेरूलाल.. अंबानी के नक्शेकदम पर चल रहा था... उसका सपना सच हो रहा था... गांव वाले अड़ गये कि अगर सरकारी ज़मीन पर मंदिर नहीं बना, तो हम अलग से ज़मीन लेकर मंदिर बनाएंगे। 33 करोड़ देवी-देवताओं के इस संसार में अब इन देवता को क्या नाम दिया जाए, समझना ज़रा मुश्किल है... करीब पांच साल पहले मध्य प्रदेश के बैतूल से भी एक ख़बर आई थी। जिसमें कुंजीलाल नाम के शख्स ने खुद की मौत का वक्त मुकर्र किया था, लेकिन तय वक्त पर जब उसकी मौत नहीं आई, तो उसनेये ख़बर फैला दी थी, कि मेरी बीवी ने मेरे लिए व्रत रखा था, जिससे खुश होकर भगवान ने मुझे जीनवनदान दे दिया। और इस चक्कर में मीडिया की काफ़ी फ़ज़ीहत हुई थी। खुदा से दुआ है, कि लोगों से चाहें धन-दौलत छीन ले, शक्ल-सूरत ले ले, लेकिन उन्हें अक्ल ज़रूर दे दे। कम से कम इसी से देश का कुछ तो भला होगा।