कॊयल की कुहु-कू, भौरॊं का गुंजन लिख सकता हूं,
चंदा की किलकन, लहरॊं का यौवन लिख सकता हूं,
मधुशाला में मचल रहा, मैं मधुबन लिख सकता हूं,
प्रणय प्यासॆ नयनॊं की, मैं उलझन लिख सकता हूं,
लॆकिन भगतसिंह के सपनॊं का,यह अभिप्राय नहीं हॊगा !!
भारत माँ की चरण- वंदना का, यह अध्याय नहीं हॊगा !!१!!
यूं लिखने कॊ मुझकॊ, नौ-रस का अधिकार मिला है,
साहित्य-सॄजन का अगम, अलौकिक संसार मिला है,
पर भारत माँ की आँखॊं से जब शॊणित की धार बहे,
किसी कवि की लौह-लेखनी,तब बॊलॊ कैसे श्रृंगार कहे,
जन-क्राँन्ति के शंखनाद का, झुमका कंगन पर्याय नहीं हॊगा !!२!!
भारत माँ की चरण वंदना का,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
गूंगी-बहरी बन बैठी है, देखॊ दिल्ली की सरकार यहां,
अबलाऒं पर हॊतॆ हैं, खुल्लम-खुल्ला अत्याचार यहां,
बिलख रही जनता की, करुणामय आहें कौन सुनेगा,
कजरा रे गाना सुनकर, क्रान्ति की राहें कौन चुनेगा,
सावरकर के अरमानॊं का, यह स्वाध्याय नहीं हॊगा !३!!
भारत माँ की चरण वंदना का,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
इस हरी-भरी बगिया कॊ अब,रखवाले ही काट रहे हैं
जाति-धर्म-भाषा कॊ लेकर, भारत माँ कॊ बांट रहे हैं,
कटु हाला का प्याला यह, पचा सकॊ तॊ इसे पचा लॊ,
युवा शक्ति आवाहन तुमको,बचा सकॊ तॊ देश बचा लॊ,
भ्रष्टाचार मिटाने का कॊई, दूजा और उपाय नहीं हॊगा !!४!!
भारत माँ की चरण वंदना का,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
नमस्कार मैं पवन कुमार भारतीय आपका स्वागत करता हूँ,मैं पेशे से सिविल इंजीनियरिंग हूँ| आपके मनोरंजन के लिये मैने ब्लॉग पे कुछ कविताएं, कहानियाँ इत्यादि भी लिखी हैं उनका भी आनंद लें,आशा है आपको मेरा ब्लॉग पसंद आएगा,आपसे अनुरोध है की निःसंकोच अपने विचारो से कमेन्ट के माध्यम से मुझे अवगत कराये, मुझे आपकी प्रतिक्रिया का इन्तजार रहेगा । यदि ब्लॉग में कोई सुधार किया जाना चाहिए या और सुन्दर बनाने में आप कोई सहायता प्रदान करना चाहते हैं तो निःसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं|
आज यह दीवार,
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शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं न छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी न छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...
Saturday, September 3, 2011
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