आज यह दीवार,

मेरी प्रोफाइल देखें ...
शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...

Saturday, September 3, 2011

तुम न मिटना.

प्रलय की हो महाबेला, प्राण हो बिलकुल अकेला,

पथ दिखे न मंजिलें ही, मैं रुकूं गर तुम ना रुकना.

गर कभी तूफ़ान आये, मेरी कश्ती लडखडाये,
 
थाम लेना मौजों को तुम, मैं मिटूँ पर तुम न मिटना.

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