आज यह दीवार,

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शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...

Sunday, August 13, 2017

बुझी राख मत हमे समझना






बुझी राख मत हमे समझना, अंगारो के गोले हैं |

देश आन पर मिटने वाले, हम बारूदी शोले हैं ||

हम सब ख़ौफ़ नही खाते हैं, विध्वंसक हथियारों से |
सीख लिया है लड़ना हमने, तुझ जैसे मक्कारो से ||

पहला वार नही हम करते, पहले हम समझाते हैं |
फिर भी कोई आँख दिखाये, महाकाल बन जाते हैं ||

शेरो के हम वंशज सारे, सुन इक बात बताते हैं |
एक झपट्टे में ही पूरा, खाल खींच हम लाते हैं ||

आन बान की रक्षा में हम, हँस कर शीश चढ़ाते हैं |
जिस देश धरा पर जन्म हुआ, उसका कर्ज चुकाते हैं ||

नागफनी के काटो से हम, कभी नहीं घबराते हैं।
सर्पों के फन कुचल कुचल कर, हाथों से लहराते हैं ||

दिल में हल्दी घाटी बैठी, लिए हाथ में भाले हैं |
मातृभूमि पर मिटने वाले, शूरवीर मतवाले हैं||

सिंह गर्जना करते है हम, आग लगाते पानी में |
भाग्य शूरमा का होता गर, हो कुर्बान जवानी में ||



माथे तिलक लगाती हमको, वीर प्रसूता मातायें |
वीर शिवा राणा सुभाष की, भरी पड़ी हैं गाथायें ||

आँख मिचौली बन्द करो तुम, खौफ़ न खाते बिल्ली से|
इक पल में हम चीर फाड़ दें, हुक्म मिले गर दिल्ली से ||

सरहद है महफूज हमारी, अपने वीर जवानों से |
लिखते है इतिहास नया नित, जो अपने बलिदानों से ||

इक बगियाँ के फूल सभी हम, भारत माँ के बच्चे हैं |
हमको अलग समझने वाले, मूर्ख अक्ल के कच्चे हैं ||

गंगा जमुनी तहजीब यहाँ, सारे जग से न्यारी है |
सम्प्रुभता अपने भारत की, हमको जाँ से प्यारी है ||

टोपी भी हमने पहनी है, सर साफा भी बाँधा है
कृष्ण भक्त रसखान कहीं तो, कहीं नाचती राधा है||

बड़ी शान से हम सब मिलकर, देश ध्वजा फहराते हैं |
सकल विश्व को भारत माँ का, हम जयघोष सुनाते हैं ||

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