आज यह दीवार,

मेरी प्रोफाइल देखें ...
शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...

Sunday, August 13, 2017

जिंदगी से जी भर गया कब का।
टूट कर मैं बिखर गया कब का ।।

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इक मुहब्बत का था नशा मुझको।
वो नशा भी उतर गया कब का।।
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चाहता था तुझे दिल-ओ-जां से।
वक़्त वो तो गुज़र गया कब का।।

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देख हालत नशे के मारों की।
ख़ुद-ब-ख़ुद वो सुधर गया कब का।।

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देख कर छल फ़रेब दुनिया के।
एक "इंसान" मर गया कब का।।

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