आज यह दीवार,

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शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...

Sunday, August 13, 2017

कविता :देशभक्ति के रंग ----- कमांडर निशांत शर्मा।


कविता :देशभक्ति के रंग
----- कमांडर निशांत शर्मा।

तुझको मेरे मुझको तेरे प्यार का आभास हो,
इंसान की इंसान से इंसानियत की आस हो।
कौम- औ- धरम के अफ़साने बहाने भूलकर ,
 राम का रौज़ा रखूँ मैं ईद का उपवास हो।
देशभक्ति के जुनूं का रंग न कोई जात हो ,
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई हैं न एहसास हो।
सेज चंदन की मिले या हो नसीब दो गज़ ज़मीं ,
इस वतन पे हो न्योंछावर अंतिम मेरी सांस हो।
खो रहा चैन -औ -अमन मज़हब ही मानो मर्ज़ हो ,
राम में हो कुछ रहीम गीता कुरआन -ए -ख़ास हो।
मंदिर मस्जिद गिरजे गुरद्वारे ही जैसे रूठें हों ,
मंदिर में 'अल्लाह हु अकबर 'गिरजे में अरदास हो।
मुझसे मेरा नाम औ ईमान तुम न पूछिए ,
उत्तर -दाख्खिन पूरब पश्चिम हम वतन सब काश हों।
हाथ सिर और नज़रें तिरछी जो उठे मैं काट दूँ ,
लहराए तिरंगा रक्त में लथपथ जो मेरी लाश हो।

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