क्या मुझे झेलती है जिंदगी?
सच कहू मुझको लगता है
मेरी मौत को ढकेलटी है ज़िंदगी
नन्हे कदम, जग नया नये रिश्ते
सांचो मे ढलते हम, हम से बदलते रिश्ते
दूर के रिश्ते पास के रिश्ते
रिश्तो मे उलझकर निकलते से रिश्ते
क्या बस रिश्तो को समेटती है ज़िंदगी..
सच कहू मुझको लगता है
मेरी मौत को ढकेलटी है ज़िंदगी
रोती खुशी, हसती खुशी, चिल्लती खुशी, बलखाती खुशी
बाहो मे भरकर, गले से लिपटकर
अपनो का अहसास कराती खुशी
फिर आँख मिचौली क्यू खुशी से खेलती है ज़िंदगी?
सच कहू मुझको लगता है
मेरी मौत को ढकेलटी है ज़िंदगी
आनी मौत बचकानी मौत,शमशानी मौत, अंजानी मौत पहचानी मौत
मौत से लड़ते लड़ते एक दिन आ जानी मौत
बहुत खुशनसीब होते है है वो नसीब वाले
जिन्हे नसीब होती है रूहानी मौत
हर चौराहे पर है मौत खड़ी, बस उसे ठेलती है ज़िंदगी?
सच कहू मुझको लगता है,,मेरी मौत को ढकेलटी है ज़िंदगी
सच कहू मुझको लगता है...मेरी मौत को ढकेलटी है ज़िंदगी..........