आज यह दीवार,

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शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...

Sunday, September 4, 2011

महाभारत क्यों होता?

फ़ौज में कभी-कभी परेड को आदेश मिलता है कि,पीछे मुड और सारी परेड आगे चलते-चलते एकदम से पीछे लौट चलती है.पी.एस.डी.एवं एन.सी.सी.की ट्रेनिंग क़े दौरान हवलदार सा :क़े आदेश पर हम लोगों ने भी ऐसा किया है. आज अपने पुराने कागजात पलटते -पलटते १९६९ -७० क़े दौरान लिखी अपनी यह लघु तुक-बन्दी जिसे २६ .१० १९७१ को हिन्दी टाईप सीखते समय टाईप किया था नज़र गई ,प्रस्तुत है-

जो ये भीष्म प्रतिज्ञा करते देवव्रत , तो यह महाभारत क्यों होता?
 होते जन्मांध धृतराष्ट्र , तो यह महाभारत क्यों होता?
इन्द्रप्रस्थ क़े राजभवन से होता तिरस्कार कुरुराज का, तो यह महाभारत क्यों होता?
ध्रूत-भवन में होता चीर -हरण द्रौपदी का, तो यह महाभारत क्यों होता?
होता यदि यह महाभारत, तो यह भारत,गारत क्यों होता?
 होता यदि यह महाभारत, तो यह गीता का उपदेश क्यों होता?
 होता यदि यह गीता का उपदेश, तो इन वीरों का क्या होता?
 मिलती यदि वीर गति इन वीरों को, तो इस संसार में हमें गर्व क्यों होता?

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