कलश स्थापना इस बार सुबह 9.34 से 12.24 तक अभिजीत मुहूर्त में होगी और 5 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का समापन होगा। इसके चलते यह नवरात्रि 8 दिन की होगी।
ज्योतिषाचार्य दत्तात्रय होस्करे के अनुसार अभिजीत मुहूर्त के साथ वृश्चिक नक्षत्र होने से कलश स्थापना करने वाले उपासकों के लिए तिथि शुभ और प्रगति कारक होगी। इसके अलावा भी लोग अपराह्न - 3.43 से शाम 5.17 तक कुंभ लग्न में और रात 8.30 से 10.30 तक कलश स्थापना कर सकते हैं। इस बार शारदीय नवरात्रि 8 दिन की होगी।
शुभ फलकारी रहेगी पंचमी
पंडित दत्तात्रय ने बताया कि शारदीय नवरात्रि की पंचमी 1 अक्टूबर को अनुराधा नक्षत्र में शुरू हो रही है। यह नक्षत्र शनि प्रधान होने के कारण पंचमी की महत्ता प्रभावकारी और शुभ फलकारी होगी। पंचमी को व्रत करने वाले उपासकों को रात में माता का श्रृंगार और आराधना करने से उन्हें हर तरह के ऐश्वर्य प्राप्त होंगे।
नवरात्रि : नौ दिन के नौ विशेष प्रसाद
दूसरे नवरात्रि के दिन मां को शक्कर का भोग लगाएं व घर में सभी सदस्यों को दें। इससे आयु वृद्धि होती है।
तृतीय नवरात्रि के दिन दूध या दूध से बनी मिठाई खीर का भोग माँ को लगाकर ब्राह्मण को दान करें। इससे दुखों की मुक्ति होकर परम आनंद की प्राप्ति होती है।
मां दुर्गा को चौथी नवरात्रि के दिन मालपुए का भोग लगाएं। और मंदिर के ब्राह्मण को दान दें। जिससे बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय शक्ति बढ़ती है।
नवरात्रि के पांचवें दिन मां को केले का नैवैद्य चढ़ाने से शरीर स्वस्थ रहता है।
छठवीं नवरात्रि के दिन मां को शहद का भोग लगाएं। जिससे आपके आकर्षण शक्त्ति में वृद्धि होगी।
सातवें नवरात्रि पर मां को गुड़ का नैवेद्य चढ़ाने व उसे ब्राह्मण को दान करने से शोक से मुक्ति मिलती है एवं आकस्मिक आने वाले संकटों से रक्षा भी होती है।
नवरात्रि के आठवें दिन माता रानी को नारियल का भोग लगाएं व नारियल का दान कर दें। इससे संतान संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
नवरात्रि की नवमी के दिन तिल का भोग लगाकर ब्राह्मण को दान दें। इससे मृत्यु भय से राहत मिलेगी। साथ ही अनहोनी होने की घटनाओं से बचाव भी होगा।
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