आज यह दीवार,

मेरी प्रोफाइल देखें ...
शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...

Wednesday, September 28, 2011

पावन नवरात्रि का शुभारंभ ...



 


शारदीय नवरात्रि 28 सितंबर से शुरू हो रही है। प्रतिपदा तिथि दोपहर 12.45 तक रहेगी। इसके चलते सर्वार्थ सिद्धि योग स्थापना के दिन दोपहर 1.37 तक रहेगा। वर्षों बाद ऐसा संयोग बन रहा है, जब चंद्र प्रधान हस्त नक्षत्र में नवरात्रि का शुभारंभ होगा। यह भक्तों के लिए उत्तम और फलकारी संयोग का सचेतक है।

कलश स्थापना इस बार सुबह 9.34 से 12.24 तक अभिजीत मुहूर्त में होगी और 5 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का समापन होगा। इसके चलते यह नवरात्रि 8 दिन की होगी।




ज्योतिषाचार्य दत्तात्रय होस्करे के अनुसार अभिजीत मुहूर्त के साथ वृश्चिक नक्षत्र होने से कलश स्थापना करने वाले उपासकों के लिए तिथि शुभ और प्रगति कारक होगी। इसके अलावा भी लोग अपराह्न - 3.43 से शाम 5.17 तक कुंभ लग्न में और रात 8.30 से 10.30 तक कलश स्थापना कर सकते हैं। इस बार शारदीय नवरात्रि 8 दिन की होगी।


Navratri Durga Puja


ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि द्वितीया और तृतीया 29 सितंबर को रिक्ता तिथि में पड़ रही है। इस कारण नवरात्रि इस बार 8 दिन की होगी। एक ही दिन में दो तिथि होने के बारे में ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि 29 को सुबह 9.02 मिनट तक द्वितीया तिथि है। उसके बाद तृतीया तिथि शुरू हो रही है, जो 30 सितंबर को सूर्य उदय से पहले प्रातः 5.32 तक रहेगी। उसके चलते दो तिथि का संयोग 29 को हो रहा है।





शुभ फलकारी रहेगी पंचमी

पंडित दत्तात्रय ने बताया कि शारदीय नवरात्रि की पंचमी 1 अक्टूबर को अनुराधा नक्षत्र में शुरू हो रही है। यह नक्षत्र शनि प्रधान होने के कारण पंचमी की महत्ता प्रभावकारी और शुभ फलकारी होगी। पंचमी को व्रत करने वाले उपासकों को रात में माता का श्रृंगार और आराधना करने से उन्हें हर तरह के ऐश्वर्य प्राप्त होंगे।



 


नवरात्रि : नौ दिन के नौ विशेष प्रसाद


प्रथम नवरात्रि के दिन मां के चरणों में गाय का शुद्ध घी अर्पित करने से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है। तथा शरीर निरोगी रहता है।

दूसरे नवरात्रि के दिन मां को शक्कर का भोग लगाएं व घर में सभी सदस्यों को दें। इससे आयु वृद्धि होती है।


तृतीय नवरात्रि के दिन दूध या दूध से बनी मिठाई खीर का भोग माँ को लगाकर ब्राह्मण को दान करें। इससे दुखों की मुक्ति होकर परम आनंद की प्राप्ति होती है।






मां दुर्गा को चौथी नवरात्रि के दिन मालपुए का भोग लगाएं। और मंदिर के ब्राह्मण को दान दें। जिससे बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय शक्ति बढ़ती है।


नवरात्रि के पांचवें दिन मां को केले का नैवैद्य चढ़ाने से शरीर स्वस्थ रहता है।


छठवीं नवरात्रि के दिन मां को शहद का भोग लगाएं। जिससे आपके आकर्षण शक्त्ति में वृद्धि होगी।






सातवें नवरात्रि
पर मां को गुड़ का नैवेद्य चढ़ाने व उसे ब्राह्मण को दान करने से शोक से मुक्ति मिलती है एवं आकस्मिक आने वाले संकटों से रक्षा भी होती है।


नवरात्रि के आठवें दिन माता रानी को नारियल का भोग लगाएं व नारियल का दान कर दें। इससे संतान संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।


नवरात्रि की नवमी के दिन तिल का भोग लगाकर ब्राह्मण को दान दें। इससे मृत्यु भय से राहत मिलेगी। साथ ही अनहोनी होने की‍ घटनाओं से बचाव भी होगा।
  
TAKE SIMPLE SURWEY... CLICK HERE

Friday, September 23, 2011

उसे माँ कहते है।

उपर जिसका अंत नहीं
उसे आसमां कहते हैं,
जहा में जिसका अंत नहीं
उसे माँ कहते है।



जिन बेटो के जन्म पर माँ-बाप ने हंसी खुशी पेडे बाटे.....
वही बेटे जवान होकर कानाफुसी से माँ-बाप को बाटे
हाय, कैसी करुणता ?


माँ-बाप को वृद्धाआश्रम मेें रखने वाले ऐ युवान !
तनिक सोच कि, उन्होने तुझे अनाथआश्रम में नहीं रखा
कहीं तु उस भुल की सजा तो नहीं दे रहा हैं ना ?



माता-पिता क्रोधी है, पक्षपाती है, शंकाशील है,
ये सारी बाते बाद की हैं,
पहली बात ये है कि वो तुम्हारे माँ-बाप हैं।


डेढ़ किलो दूधी डेढ़ घण्टे तक उठाने से
तेरे हाथ दुख जाते है !
माँ को सताने से पहले इतना तो सोच......
तुझे नौ-नौ महिने पेट में
कैसे उठाया होगा ?


बचपन में जिसने तुझको पाला बुढे़पन में
उसको तूने नहीं संभाला तो याद रखना......
तेरे भाग्य में भड़केगी ज्वाला।


घर की माँ को रुलाये और
म्ंदिर की माँ को चुनरी ओढ़ाये.......
याद रखना.........
मंदिर की माँ तुझ पर खुश तो नहीं.......
शायद खफा जरुर होगी!


बचपन में गोद देने वाली को बुढ़ापे में
दगा देने वाला मत बनना..........


5 वर्ष का लाड़ला जो तेरे प्रेम की प्यास रखे
तो 50 वर्ष के तेरे माँ-बाप तेरे प्रेम की आँस क्यों न रखें ?


जिस दिन तुम्हारे कारण
माँ-बाप की आँख में आँसू आते हैं,
याद रखना......
उस दिन किया तुम्हारा सारा धर्म.........
आँसू में बह जाता हैं!



माँ और क्षमा दोनांे एक है क्योंकि,
माफ करने में दोनो नेक हैं !


माँ तुने तिर्थकरो को जाना है,
संसार तेरे ही दम से बना हैं,
तू मेरी पूजा है, मन्नत है मेरी,
तेरे ही कदमों में जन्नत है मेरी......


माँ ! पहले आँसु आते थे और तूं याद आती थी।
आज तू याद आती हैं और आँसु आते हैं।


तुने जब धरती पर पहला श्वास लिया
तब तेरे माता-पिता तेरे पास थे,
माता-पिता अंतिम श्वास लें तब तू उनके पास रहना.......


सुविधा के लिये जुदा होना पडे़ उसमें कोई हर्ज नहीं, किन्तु........
स्वभाव के कारण जुदा होना होना वो तो सबसे बड़ी शर्म हैं।


माँ-बाप की सच्ची विरासत पैसा और प्रसाद नहीं,
प्रामाणिकता और पवित्रता है................



संसार की दो बड़ी करुणता....
माँ बिना का घर,
घर बिना की माँ.........!!!


जिस मुन्ने को माँ-बाप ने बोलना सिखाया था.......
वह मुन्ना बड़ा होकर माँ-बाप को मौन रहना सीखाता हैं!!!


बँटवारे के समय घर की हर चीज के लिये
झगड़ा करने वाले बेटे दो चीज के लिए के उदार बनते है
जिसका नाम है माँ-बाप....................


माँ-बाप को सोने से न मढ़ो चलेगा।
हीरे से न जड़ो तो चलेगा पर उसका जिगर जले
और अंतर आँसु बहाये, वो कैसे चलेगा ?



कबुतर को दाना ड़ालने वाला बेटा
अगर माँ-बाप को दबाये तो......
उसके दाने में कोई दम नहीं।



माँ-बाप की आँखो में दो बार आँसू आते है
लड़की घर छोडे़ तब..........
लड़का मँुह मोड़े तब...................


घर का नाम मातृछाया व पितृछाया
मगर उसमें माँ-बाप की परछाई भी न पड़ने दे........
तो उसका नाम
पत्नीछाया रखना ठीक होगा..........


पत्नी पसंद से मिल सकती है,
माँ पुन्य से ही मिलती है।
पसंद से मिलने वाली के लिये,
पुण्य से मिलने वाली को मत ठुकराना।


पेट में पाँच बेटे जिसको भारी नहीं लगे थे,
वो माँ..................
बेटो के पाँच फ्लेट में भी भारी लग रही हैं!
बीते जमाने का यह श्रवण
का देश.......!!!! कौन मानेगा ?




जीवन के अंधेरे पथ मंे सूरज बनकर
रोशनी करने वाले माँ-बाप की जिंदगी में
अंधकार मत फैलाना...................


प्रेम को साकार होने का दिल हुआ
और माँ का सर्जन हुआ।


घर में वृद्ध माँ-बाप से बोले नहीं
उनको संभाले नहीं,
और वृद्धाश्रम में दान करे
जीवदया में धन प्रदान करे
उसे दयालु कहना..........
वो दया का अपमान हैं।


जब छोटा था तब माँ की शय्या गीली रखता था,
अब बडा हुआ तो माँ की आँखे गीली रखता हैं ।
रे पुत्र !
तुझे माँ को गीलेपन मंे रखने की आदत हो गई !.......



मातृभाषा
मातृभूमि व
माँ का
कोई विकल्प नहीं...............

Thursday, September 22, 2011

सच्चा प्यार ...



एक बार एक लड़का था ! जो एक लड़की को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता था
उसके परिवार वालो ने भी उसका कभी साथ नहीं दिया ,फिर भी वो उस लड़की को

 

प्यार करता रहा लेकिन लड़की कुछ देख नहीं सकती थी मतलब अंधी थी !

लड़की हमेशा लड़के से कहती रहती थी की तुम मुझे इतना प्यार क्यूँ करते हो !में

तुम्हारे किसी काम नहीं सकती में तुम्हे वो प्यार नहीं दे सकती जो कोई
और देगा लेकिन वो लड़का उसे हमेशा दिलाषा देता रहता की तुम ठीक हो जोगी

तुम्ही मेरा पहला प्यार हो और रहोगी फिर कुछ साल ये सिलसिला चलता रहता है
लड़का अपने पैसे से लड़की का ऑपरेशन करवाता है लड़की ऑपरेशन के बाद अब सब

कुछ देख सब सकती थी

लेकिन उससे पता चलता है की लड़का भी अँधा था तब लड़की
कहती है की में तुमसे प्यार नहीं कर सकती तुम तोह अंधे हो.में किसी अंधे

आदमी को अपना जीवन साथी चुन सकती तुम्हारे साथ मेरा कोई future नहीं है
..तब लड़का जाने लगता है और उसके आखिरी बोल होते है



"""" मेरी आँखों का ख़याल रखना  """