आज यह दीवार,

मेरी प्रोफाइल देखें ...
शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...

Friday, September 9, 2011

बचपन के रंग …


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बचपन में माँ से लड़ना झगड़ना 
उसके ही हाथों से रोटी फिर खाना 
उसके साथ ही चलना और घूमना 
गोदी में चढ़कर उसके मचलना 
पापा से झट से पैसे ले लेना 
पैसे से टाफी और इमली खाना 
चिढ़ना-चिढ़ाना रोना-रुलाना 
लुकना-छिपना हँसना-हँसाना 
माँ की गोदी था प्यारा सा पलना 
पकड़े जो कोई तो धोती में छिपना 
ऐसा था प्यारा सा बचपन का रंग 
गुजरा था जो मेरे माँ बाप के संग 

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