आज यह दीवार,

मेरी प्रोफाइल देखें ...
शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...

Monday, August 29, 2011

बागी हैं हम इन्कलाब के गीत सुनाते जायेंगे







कलमकार का फर्ज रहा है अंधियारों से लड़ने का

राजभवन के राजमुकुट के आगे तनकर अड़ने का

लेकिन कलम लुटेरों को अब कहती है गाँधीवादी

और डाकुओं को सत्ता ने दी है ऐसी आजादी

राजमुकुट पहने बैठे हैं बर्बरता के अपराधी

हम ऐसे ताजों को अपनी ठोकर से ठुकरायेंगे

बागी हैं हम इन्कलाब के गीत सुनाते जायेंगे


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