आज यह दीवार,

मेरी प्रोफाइल देखें ...
शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...

Tuesday, September 6, 2011

धूप है सर पे और न साया है !

इन तुजुर्बो ने ये सिखाया है
ठोकरे खा के इल्म आया है

क्या हुआ आज कुछ तो बतलाओ
क्यों ये आंसू पलक तक आया है !

दुश्मनों ने तो कुछ लिहाज़ किया
दोस्तों ने बहुत सताया है !

आसमां, ज़िंदगी, जहाँ, हालात
हम को हर एक ने आज़माया है !

अब रुकेंगे तो सिर्फ़ मंजिल पर
सोचकर यह क़दम उठाया है !

ऐ "नीरज" हम हैं उस मक़ाम पर आज
धूप है सर पे और न साया है !

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