आज यह दीवार,

मेरी प्रोफाइल देखें ...
शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...

Sunday, January 1, 2012

तितलियो को घर में पाला नहीं जाता .........

जो तूफानों से खेलते है उन्हें, हवाओं से डर नहीं लगता
जो समंदर में पलते हो उन्हें घटाओ से डर नहीं लगता,
हर ठोकर से कुछ सीख कर गुजरा हूँ मैं,
अब मुझे मार कर सिखाने वाले रहनुमाओं से डर नहीं लगता
अब मुझे मार कर सिखाने वाले रहनुमाओं से डर नहीं लगता........

जश्न-ए-इजहार क्या ख़ाक होता जब बात कुछ बढ़ी नहीं,
कभी नशे में वो रहे, कभी नशे में हम रहे...........

एक कतरा बन कर समंदर पर सवार हूँ तेरे लिए,
सुना है- "डूबते को तिनके का सहारा बहुत होता है".........

पत्थरो से रस निकाला नहीं जाता,
फूलो पर वजन डाला नहीं जाता,
घर के चौबारे तक ही रहे, तो खूब जँचती है,
तितलियो को घर में पाला नहीं जाता
तितलियो को घर में पाला नहीं जाता .........

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