आज यह दीवार,

मेरी प्रोफाइल देखें ...
शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...

Sunday, January 1, 2012

नज़र क्यों मिलाई थी आपने.....

इनकार ही था तो नज़र क्यों मिलाई थी आपने,
इकरार ही था तो नज़र क्यों चुराई थी आपने,

बस एक नज़र में दिल में अरमान दे दिया,
दिल के खाली कमरे को मेहमान दे दिया

नादान से दिल पर बिजली क्यों गिराई थी आपने,
इनकार ही था तो नज़र क्यों मिलाई थी आपने.

घायल हूँ दर्द लेकर अब इलाज कीजिये,
मेरे हर एक जख्म का हिसाब का हिसाब दीजिये

लेकर फिजा का बहाना, जुल्फ क्यों हिलाई थी अपने,
इनकार ही था तो नज़र क्यों मिलाई थी आपने....

इनकार ही था तो नज़र क्यों मिलाई थी आपने,
इकरार ही था तो नज़र क्यों चुराई थी आपने,

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