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शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...

Thursday, August 17, 2017

मुश्किलें इस जहान में

मित्रों जैसा की हमने पहले भी आप लोगों को यह बताया था कि अगर आप में लिखने की प्रतिभा और रुचि है तो आप अपने लेखकवितायेँ या अन्य सामग्री आप हम तक पहुंचा सकते हैं। हमारी टीम उसका विश्लेषण करेगी और यदि आपके लेखन को चुना जाता है तो हम उसे अपने ब्लॉग पर जरूर प्रकाशित करेंगे। इसी चीज को आगे बढ़ाते हुए हम गोबिंदप्रीत सिंह जी की अमृतसर के रहने वाले हैं। उनकी कविता “ मुश्किलें इस जहान में ” को हम अपने ब्लॉग पर प्रकाशित करने जा रहे हैं।

मुश्किलें इस जहान में

मुश्किलें इस जहान में
बहुत हो रही है मुश्किलें इस जहान में
कहीं हो रही हैं मौतें व्यापम के जाल में
कहीं हो रहे घोटाले पैसे के माया जाल में
बहुत हो रही हैं मुश्किलें इस जहान में।
कहीं भाई मारता है खून को जमीन की खातिर
कहीं बाप मारता है बेटी को झूठी जमीर की खातिर
कहीं मारता है इंसान इंसानियत को
जीतने के लिए इस जहान में,

बहुत हो रही हैं मुश्किलें इस जहान में।
घर में हो गए हैं बंटवारे कि अब प्यार न रहा मकान में
सो जाते हैं भूखे फुटपाथ पर जिनका होता नहीं कोई जहान में
बेटा सोती माँ को मार जाता है नशे के अभाव में
बहुत हो रही हैं मुश्किलें इस जहान में।
अगर इंसान करे जरा भी ख्याल जहान पर
करे थोड़ी दया तबाह होते जहान पर
खुद समझे और समझाए दूजों को अपनों की खातिर
तो न रहेंगी ए प्रीत सिंह मुश्किलें इस जहान में
बहुत हो रही हैं मुश्किलें इस जहान में।





दोस्तों आपको ये कविता कैसी लगी हमें जरूर बताएं। आपके द्वारा दिए गए विचारों से लिखने वालों को और भी प्रेरणा मिलेगी। नये लेखकों का हौसला बढ़ाने के लिए उनके लेखन पर प्रतिक्रिया जरूर दें। यदि आप में भी लिखने की प्रतिभा है और लिखना चाहते हैं तो देर न करें अपनी रचना हम तक पहुँचाए।
धन्यवाद।



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