आज यह दीवार,

मेरी प्रोफाइल देखें ...
शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...

Monday, September 5, 2011

रिवाज - ए - चाक गिरेबाँ नहीं बदलने का...


ज़माना आज नहीं डगमगा के चलने का
सँभल भ़ी जा कि अभी वक़्त है सँभलने का

ये ठीक है कि सितारों पे घूम आये हम
मगर किसे है सलीक़ा ज़मीं पे चलने का

फिरे हैं रातों को आवारा हम, तो देखा है
गली - गली में समाँ चाँद के निकलने का

हमें तो इतना पता है कि जब तलक हम हैं
रिवाज - ए - चाक गिरेबाँ नहीं बदलने का...
        ***************पवन कुमार सिन्ह *********

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