आज यह दीवार,

मेरी प्रोफाइल देखें ...
शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...

Monday, September 5, 2011

कागजी कस्ती....


आज कलम फिर बरसी है बादलो की तरह, पढने वाले पढ़ रहे है पागलो की तरह,
मै तैयार हू मिट  जाने को परवाना बनकर, और वो तैयार है दीपक में लौ की तरह....

मिले थे कई गैर, मैं मिल लिया गले, और फिर बिछड गए वो रास्तो की तरह

विश्वास तोडा दुनिया ने मगर हम भी है सनम, हिफाजत में तेरे घर के जालो की तरह

फूल दे रहे हो मंशा साफ़ कह देना, चुभ ना जाना शूल बन कहीं भालो की तरह

धुआ जो उठ रहा है ये आसमान में, जल रहा है दिल मेरा एक बस्ती की तरह

समंदर की सैर पर निकल दिया "पवन कुमार" , फर्क क्या कहे कोई कागजी कस्ती की तरह

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