आज यह दीवार,

मेरी प्रोफाइल देखें ...
शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...

Monday, September 5, 2011

याद उनकी


याद उनकी हमें पल-पल सताए क्यूँ?   खुश्क अँखियों में समंदर आए क्यूँ?

तन्हा रात कटती नहीं बगैर तेरे,  ख़ुशी का इक लम्हा यूँ गुज़र जाए क्यूँ?

इन्कार का गिला ना किया जब हमनें, मेरी आह पर इलज़ाम लगाए क्यूँ?

कहता है प्यार है बेपन्हा मुझसे,  हर मोड़ पर हमें यूँ आज़माए क्यूँ?

महसूस नहीं कर सके मेरे गम को, आज मेरे दर्द पे मुस्कुराए क्यूँ?

हर इल्ज़ाम वो देता है इस दिल को,  फिर भी मासूम बना नज़र आए क्यूँ?

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