आज यह दीवार,

मेरी प्रोफाइल देखें ...
शूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा, पुर्जा कट मरे, कबहुं छाड़े खेत (बहादुर, शूरवीर वही है, जो धर्म के लिए लड़े, चाहे शरीर का पुर्ज़ा पुर्ज़ा कट जाए, पर जंग का मैदान वह कभी छोड़े) हमारा धर्म है सचाई, भारतीयता, ईमानदारी, भाईचारा...

Monday, September 5, 2011

जिहादी हमला!!! सब ख़तम......

आतंकवादी  हमलो पर लिखी कविता....(इस कविता को सुनते सुनते जाने कितने लोग रो पड़े.) दिल से महसूस करते हुए पढ़े...


इंसान को हैवान बना देते है लोग, हद्द हर नीचता की जता देते है लोग
और जिन बच्चो को, अभी खबर ना थी, अपने नाम की यारो,
उन्हे जिहाद क्या होता है, सिखा  देते है लोग......

रास्ता ए लहू अपना लेते है लोग, लहू सस्ता हो जैसे नीर से, ऐसे बहा देते है लोग,
मिली क्या ख़ुशी उन्हे, देख कर लाशें, क्यू अमनो-चैन जिंदा, दफ़ना देते है लोग

ये भाई ना रहा, ये बाप ना रहा, उसके सर पर उसकी माँ का, अब हाथ ना रहा
तन्हा जो घूमता था, चौराहो पर कभी ,अब तन्हाई का भी उसकी, कोई साथ ना रहा
चल रहा था जो अभी, खुशी खुशी यहा ,क्यू बेजान उस इंसान को, बना देते है लोग.....

सज-धज के चल रही थी, जिसकी दुल्हन अभी, पढ़ रहा था मुन्ना, ए,बी,सी,डी यही
गया था बाजार लेने, भाई सब्जियाँ ,गूंद रही थी मा उसकी, आटा यही कही
चहकती बुल बुल,,,कोयल,,,उड़ते थे परिंदे..जहा
क्यू वीरान उस स्थान को बना देते है..क्यू वीरान उस स्थान को बना देते है..

और जिन बच्चो को, अभी खबर ना थी, अपने नाम की यारो,
उन्हे जिहाद क्या होता है सिखा  देते है लोग ,
.....*****उन्हे जिहाद क्या होता है सिखा  देते है लोग*****....

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